03 July 2021

रिसर्च के क्षेत्र में बायोइनफॉर्मेटिक्स उपयोगीः कुलपति प्रो0 रविशंकर सिंह


माइक्रोबायोलाॅजी साइंस विभाग में बायोइनफॉर्मेटिक्स के अनुप्रयोग विषय पर हुआ अंतरराष्ट्रीय वेबीनार

अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलाॅजी विभाग में ”माइक्रोबायोलाॅजी साइंस में बायोइनफॉर्मेटिक्स के अनुप्रयोग विषय” पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन बुधवार को किया गया। वेबीनार की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रविशंकर सिंह ने कहा कि रिसर्च के क्षेत्र में बायोइनफॉर्मेटिक्स बहुत ही उपयोगी है। इसके प्रयोग में जीव विज्ञान को सूचना तकनीकी में लाई जा रही है। कुलपति ने कहा कि मालिक्यूलर बायोलाॅजी के क्षेत्र में बायोलाॅजिकल डाटा के प्रबंधन एवं विश्लेषण के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है जो आने वाला समय इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च का होगा। ये जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगें। कुलपति ने कहा कि बायोलाॅजिकल आंकड़ों में छिपे हुए जैविक सूचनाओं को बायोइनफॉर्मेटिक्स के माध्यम से ही बाहर लाया जा सकता है। इससे मानव जीवन का स्तर ऊपर उठाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त कुलपति प्रो0 सिंह ने प्रतिभागियों को बायोइनफॉर्मेटिक्स के महत्व पर विस्तृत जानकारी दी।   वेबीनार में अंतरराष्ट्रीय मुख्य वक्ता संत जूड चिल्ड्रंस रिसर्च हॉस्पिटल, टेनेसी अमेरिका के वैज्ञानिक डॉ0 संदीप ढंाडा ने ”कोरोनावायरस पांडेमिकः रेस्क्यूइंग रोल ऑफ बाय इनफॉर्मेटिक्स‘‘ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि किस तरह से दुनिया भर के विभिन्न संस्थाओं के डेटाबेस में कोरोनावायरस से संबंधित जानकारियां उपलब्ध है। इन डेटाबेस पर रिसर्च करके कोरोनावायरस के संपूर्ण इतिहास की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस कोई नया वायरस नहीं है इसके जैसे अन्य और भी वायरस पहले ही रिपोर्ट में हैं। इसलिए कोरोना वायरस को मानव निर्मित वायरस कहना उचित नहीं होगा। विशिष्ट अतिथि प्रिटोरिया विश्वविद्यालय, साउथ अफ्रीका के पूर्व वैज्ञानिक डॉ0 सुरेंद्र विक्रम ने देसी फरिंग द एनवायरमेंटल मैसेजेस यूजिंग द डीएनए सीक्वेंस विषय पर प्रतिभागियों को विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने अपने किए हुए रिसर्च पर बताते हुए कहा कि बायोइनफॉर्मेटिक्स का प्रयोग करके दक्षिण हिंद महासागर में पाए जाने वाले विभिन्न सूक्ष्मजीवों पर अध्ययन किया। इसके साथ ही जीवाश्म सैंपल के माध्यम से भी सूक्ष्मजीवों पर अध्ययन किया है। कार्यक्रम का संचालन संयोजक एवं माइका्रेबायोलाॅजी विभागाध्यक्ष प्रो0 शैलेंद्र कुमार ने अतिथियों का स्वागत करते हुए वेबिनार की रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम में माइका्रेबायोलाॅजी एवं बायोकमेस्ट्री विभाग सहित अन्य विभागों के प्रतिभागियों ने अपने प्रश्नों का समाधान विशेषज्ञों से किया। अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन डाॅ0 मणिकांत त्रिपाठी द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ0 नीलम यादव, डॉ0 रंजन सिंह, डॉ0 महेंद्र पाल सहित बड़ी संख्या में अन्य आंनलाइन जुडे़ रहे।


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