अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के तकनीकी संस्थान में सिग्नीफिकेन्ट रोल ऑफ ई-एजुकेशन थू्र सोशल डिस्टेंसिंग ड्यूरिंग लॉकडाउन ऑफ कोविड-19 पैंडेमिक विषय पर जूम एप पर वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से दो दिवसीय नेशनल वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार के उद्घाटन सत्र में अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने कोरोना जैसी महामारी के प्रति सचेत करते हुए कहा कि भारत सरकार के दिए हुए नियमो को समाज के हर वर्ग को विशेषकर युवा वर्ग जिसमे छात्र, शिक्षक एवं सामजिक कार्यकर्ता है उन्हें सूझबूझ का परिचय देते हुए इस महामारी को हराना है। आज कोरोना पूरे विश्व के लिए एक संकट बन गया है क्योंकि इसके दुष्प्रभाव से विश्व का हर क्षेत्र प्रभावित है। कुलपति ने कहा कि इसका निदान सोशल डिस्टैंसिंग एवं साफ-सफाई है लेकिन इसके निदान के लिए स्कूल कॉलेज एवं सरकारी कार्यालय बंद किये गये है। छात्र देश का भविष्य होता है। उनका समय पर पाठ्यक्रम एवं परीक्षा समाप्त हो और परिणाम समय पर घोषित हो यह देश और विश्वविद्यालय का प्रथम दायित्व होता है। इसके लिए ऑनलाइन छात्रों के लिए एक नया अनुभव है। कुलपति ने अपने दायित्वों का उल्लेख करते हुए कहा कि अवध विश्वविद्यालय आवासीय परिसर में संचालित सभी विभागों के वाट्सअप ग्रुप बने है जिससे छात्र और शिक्षक जुड़े है और विषय सम्बंधित विस्तृत परिचर्चा कर रहे है और सभी वाट्सअप ग्रुप में मैं स्वयं भी जुडा हूॅ। इसके साथ ही गूगल क्लास, यूट्यूब, स्काईप, मैसेंजर, ई-मेल आदि कई ऑनलाइन एप से भी पढ़ाई की जा रही है। उन्होंने देश के युवाओं से अपील की कि उन्हें इस समय अपने बौद्धिकता का परिचय देते हुए राष्ट्र के निर्माण में तनमन से जुड़ना चाहिये। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एमिटी विश्वविद्यालय, गुरूग्राम के कुलपति प्रो0 प्रीतम बाबू शर्मा ने कहा कि संगोष्ठी का यह विषय को आने वाले समय में मील का पत्थर साबित होगा। ऐसे समयानुरूप विषय के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज आप भारत के पहले बुद्धिजीवी है जो कोरोना महामारी के शिक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव को खत्म करने की पहल की है। कुलपति का ध्यान आकृष्ट कराते हुए प्रो0 शर्मा ने कहा कि नवाचार तकनीक को अपने यहां होने वाली परीक्षा में अवश्य उपयोग करेंगे और अन्य विश्वविद्यालयों के लिए उदाहरण स्वरूप अवध विश्वविद्यालय को प्रस्तुत करेंगे। वेबिनार मेंएचबीटीयू के प्रो0 रघुराज ने कहा किलाॅकडाउन की स्थिति में भी बैंकिंग, मेडिकल, पुलिस, जैसे विभाग दिन रात काम कर रहे है। शिक्षा विभाग में नवाचार तकनीकी का समावेशी उपयोग शिक्षक छात्र एवं अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। जो एक शिक्षा की व्यवहारिक विधि से अलग है लेकिन आज के कोरोना के समय की सबसे उपयोगी एवं सहज विधि भी है। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ विनोद कुमार सिंह ने अपने उदबोधन में कहा कि प्रत्येक व्यक्ति हर क्षेत्र में कार्य नहीं निपुण नहीं हो
सकता ये एक व्यवहारिक समस्या है लेकिन कोरोना महामारी में उपरोक्त समस्या का समाधान नवाचार तकनीक के प्रयोग से किया जा सकता है। उन्होंने शिक्षा पद्धति में नवाचार तकनीकों को प्रमुखता से शामिल करते हुए सामान्य मेडिसिन, कानून, नैतिकता, राष्ट्र के प्रति कर्तव्य, आदि भी अध्ययन कराना चाहिए। वेबिनार में महाराजा सूरजमल ब्रिज विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ0 अरुण कुमार पांडेय ने कहा कि आज नवाचार तकनीक ने शिक्षा के क्षेत्र के साथ साथ हमारे जीवन को जीने के लिए भी आसान कर दिया है। नवाचार तकनीक के द्वारा समस्त परीक्षा ऑनलाइन कराने का सुझाव दिया और इसके लिए अवसर तलाशे जाने एवं इस समस्या के समाधान को तकनीकी क्षेत्र के लिए शोध का विषय बताया। संगोष्ठी में संस्थान के निदेशक प्रो0 रमापति मिश्र ने कहा कि लाॅकडाउन के बावजूद भी संस्थान के शिक्षक अपने यूट्यूब चैनल, आईईटी मूडल प्लेटफार्म से सभी कक्षाओं के व्हाट्सअप ग्रुप बनाकर, गूगल क्लासरूम एप से पठन पाठन निरन्तर कर रहे है। जूम क्लाउड मीटिंग एप के द्वारा एक साथ 60 स्टूडेंट्स की जीवन्त क्लास चलाई जाती है। ऐसे में तकनीक आधारित शिक्षा का महत्व बढ़ा हुआ दिखाई दे रहा है। तकनीकी सत्र में इं0 मनीष सिंह, इ0 नवीन चंद्र, इं0 विमलेश सिंह, इं0 परिमल तिवारी, इं0 रमेश मिश्र, इं0 आशुतोष मिश्र, इं0 अखिलेश मौर्या द्वारा प्रतिभागियों को नवाचार तकनीकी के भिन्न पहुलओं पर लाइव समस्याओं का समाधान किया। कार्यक्रम के संयोजक इ0 पारितोष त्रिपाठी ने बताया कि पूरे देश से 232 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग
किया। इस अवसर प्रति कुलपति प्रो0 एसएन शुक्ल, मुख्य नियंता प्रो0 आरएन राय, परीक्षा नियंत्रक
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